श्रीलाल जी ने कहा-हिंदी में हल्का साहित्य बहुत कम है।
6.
हमने पूछा-ऐसा क्यों है कि हल्का साहित्य कम लिखा गया?
7.
ज़्यादातर लोग हल्का साहित्य पढ़ना चाहते हैं मसलन-फ़िल्मी गपशप, सस्पेंस, सेक्स, फ़ैशन.
8.
हिन्दी में अगर हल्का साहित्य लिखा भी जा रहा है तो वो इतना हल्का है कि उसे पढ़कर ट्रेन-बस का यात्री धुएं में उड़ा देता है।
9.
मनोरंजन भी कैसा? जो ‘ हल्का साहित्य ‘ माना जाता है, उसमें से कौन से उदाहरण दूँ? इसके अलावा परदेशी पत्रों से उद्धरण, ऊटपटांग कहानियाँ, तथा सिनेमा-स्त्रियों के चित्र के अलावा कुछ नहीं होता ।
10.
हल्के काम-धन्धे से, हलके वातावरण से, हल्का साहित्य पढ़ने से, हलके सिनेमा देखने से, हलके खान-पान से आदमी का पतन हो जाता है, ब्रह्मचर्य खंडित हो जाता है तो अच्छे कार्यों से, अच्छा साहित्य पढ़ने से, अच्छे विकार से, अच्छे एवं सात्त्विक खान-पान से आदमी का उत्थान भी तो हो सकता है।